जनता से जुड़े हर मुद्दे पर है अरविन्द केजरीवाल की पैनी नजर चार माह तक घर बैठ किया होमवर्क: अश्वनी भारद्वाज
नई दिल्ली ,दिल्ली की सत्ता से दूर होने के बाद आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल कुछ माह तक अज्ञातवास में जरुर चले गए थे लेकिन इसका मतलब यह कत्तई नहीं था कि उन्होंने दिल्ली से मुंह मोड़ लिया था | कुछ दिन तक हार पर चिंतन के बाद गुजरात तथा पंजाब विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुटे अरविन्द नें दोनों जगह शानदार वापसी कर ना केवल खुद में उर्जा संचालित की अपितु पार्टी वर्करों में एक नया जोश भरने में कामयाबी भी हांसिल की और दिल्ली की जनता को संदेश देने में कामयाब रहे कि वे जल्द दिल्ली की सियासत में भी दमदार तरीके से वापसी करेगें | इन चार माह में उन्होंने कोई कीर्तन तो किया नहीं था , या दूसरे शब्दों में छुट्टियाँ भी नहीं बिताई थी , बल्कि होमवर्क किया, अपनी गलतियों को निहारा, ,आत्मचिंतन किया,उनसे सबक लिया | कहावत है सुबह का भूला शाम को घर लौट आये तो उसे भूला हुआ कहते | समझ गए ना आप इन चार माह में अरविन्द नें बारीकी से अपने परायों की पहचान तो की ही ,साथ ही भाजपा को भी फ्री हैण्ड खेलने का मौका दिया | अरिन्द को जहां तक हम जानते हैं वे किसी मौके की तलाश में थे ,और सब जानते है अरविन्द मौके पर चौका लगाने में माहिर है उस कला में उनका कोई सानी नहीं है | पूरे देश की सत्ता पलटने के लिए बिसात बिछाने वाले अरविन्द ही थे जिन्हें कांग्रेस के कर्णधारों और रणनीतिकारों नें बड़े हल्के में लिया था, जो उनकी इतनी बड़ी भूल साबित हुई कि तीन चुनावों के बाद भी कांग्रेस को सत्ता नसीब नहीं हुई और ना मालुम वो बीता समय कब लौट कर आएगा | कुल मिलाकर अरविन्द को जिस समय का इंतजार था वह आ गया, यानी भाजपा को घेरने का | अब कांग्रेस अरविन्द के एजनडे में नहीं है और वे अब कांग्रेस से तालमेल करने के मूड में भी नहीं है ,यानी भजपा ही उनके निशाने पर रहने वाली है जिसका ईशारा उन्होंने जन्तर मन्तर में जुटे आवाम को दे भी दिया है | आवाम नें भी उनका दमदार तरीके से स्वागत किया | लोगो को लगा आखिर कोई तो है जो उनका मुद्दा बनकर केंद्र से टकराने का बिगुल बजा रहा है | ट्रिपल इंजन की सरकार में उनकी कौन सुनेगा सवाल यह नहीं है बड़ा सवाल यह है कि जनता का मुद्दा जो उठाता है सिकन्दर वही बनता है | अरविन्द नें जनता की नब्ज पकड़ ली है झुग्गी की जगह मैदान को नारा बनाने वाले अरविन्द के लिए मुफ्त की भीड़ एक आन्दोलन का रूप लेगी इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता | केवल बयानबाजी से ही दिल्ली की सियासत के दिन अब लद चुके है दिल्ली की सियासत के लिए पसीने के साथ-साथ लहू भी गर्म करना पड़ता है और उसमें टीम अरविन्द को महारथ हांसिल है आखिर आन्दोलन से निकली पार्टी जो है | देखना है भाजपा तीन सौ युनिट बिजली के अपने वादे पर क्या स्टैंड लेती है ,पानी की रफ्तार को क्या गति देती है और रसोई गैस के सिलेंडर पर क्या स्टैंड लेती है इन सबके बाद अरविन्द की मुहीम क्या होगी यह आने वाला समय बतायेगा लेकिन इतना तय है अरविन्द के रथ का पहिया दिल्ली की ओर कूच कर चुका है जिसका सभी को इंतजार है पत्ते खुलने का | आज बस इतना ही …


