ED Raid: ED की छापेमारी पर भूपेश बघेल का तीखा हमला, “साहेब ने भेज दी ED, मुद्दा था अदाणी का”
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर शुक्रवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की। इस कार्रवाई की जानकारी खुद भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा की। अपने तीखे पोस्ट में उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा – “ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अदाणी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ED भेज दी है।”
इस छापेमारी की पुष्टि ईडी के सूत्रों ने भी की है। छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग और छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में की गई है। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने बघेल के आवास पर दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की और टीम अभी भी मौके पर मौजूद है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि छापेमारी के दौरान कोई बरामदगी हुई या नहीं।
ED की जांच में यह सामने आया है कि छत्तीसगढ़ में एक संगठित शराब सिंडिकेट सक्रिय था, जिसमें मुख्य रूप से कारोबारी अनवर ढेबर, पूर्व अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य प्रभावशाली लोग शामिल थे। इस सिंडिकेट ने कथित रूप से लगभग 2161 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवैध धन से तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने नकद राशि पहुंचाई जाती थी। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि यह पूरा घोटाला एक सुनियोजित तरीके से लंबे समय तक चलाया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का यह दावा कि ईडी की कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में उन्होंने कोरबा जिले के तमनार तहसील में कोयला खदान परियोजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों का समर्थन किया था। बघेल ने आरोप लगाया था कि ग्राम सभा की अनुमति के बिना आदिवासी भूमि पर जबरन पेड़ों की कटाई की जा रही है, और राज्य सरकार अदाणी समूह के फायदे के लिए स्थानीय लोगों के जल, जंगल और जमीन का दोहन कर रही है।
भूपेश बघेल ने यह भी कहा कि राज्य की खनिज संपदा, वन भूमि और प्राकृतिक संसाधनों को उद्योगपतियों को सौंपने की होड़ मची है और इसके खिलाफ उनकी आवाज को दबाने के लिए ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
राजनीतिक गलियारों में इस छापेमारी को लेकर जबरदस्त हलचल मच गई है। कांग्रेस ने इस कार्रवाई को केंद्र की “विपक्ष को डराने की नीति” बताया है, जबकि भाजपा का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और इसमें राजनीति नहीं देखी जानी चाहिए।



