दिल्ली के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक : सुभाष चन्द्र लाला
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने राजधानी के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए एक नया विधेयक सदन में पेश किया है। सोमवार को शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश किया। इस बिल का मकसद शिक्षा को बिजनेस बनने से रोकना और स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसना है।
इस विधेयक को लेकर दिल्ली में बहस छिड़ गई है। सरकार का दावा कर रही है कि है कि इसका उद्देश्य मनमानी फीस वृद्धि को रोकना है, वहीं विपक्षी दलों का तर्क है कि यह प्राइवेट स्कूल के मैनेजमेंट को सशक्त बनाएगा और इससे जवाबदेही को कमजोर होगी।
इस बाबत आम आदमी पार्टी विश्वास नगर वार्ड के अध्यक्ष सुभाष चन्द्र लाला कहते हैं यह विधेयक जनविरोधी है इससे अभिभावकों पर फीस वृद्धि के रुप में आर्थिक बौझ बढ़ेगा। सुभाष चन्द्र लाला नें कहा कि फीस वृद्धि अथवा अन्य फंड लगाने आदि पर अभिभावक शिकायत तभी कर सकते हैं, जब 15 प्रतिशत अभिभावक सामूहिक रूप से आवेदन करें। मतलब साफ है यह विधेयक स्कूलों को मनमानी करने की छूट देगा और सामान्य अभिभावकों के लिए न्याय प्राप्त करना मुश्किल होगा ।
यह विधेयक माता-पिता और छात्रों के हितों के बजाय निजी स्कूल प्रबंधन को मुनाफे पहुचाने वाला है। सुभाष चन्द्र लाला कहते हैं फीस की अदायगी में देरी या विलंबित भुगतान पर छात्रों को परेशान करने से स्कूलों को मिलने वाली छूट देकर विधेयक में अभिभावकों को स्कूलों की मनमानी का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र के तहत प्रभावी ढंग से लागू करने का प्रावधान किया गया है। सुभाष लाला ने इस विधेयक कोआई वाश बताया, उन्होंने बताया कि विधेयक को प्राइवेट स्कूल मालिकों को फायदा पहुंचाने के इरादे से बनाया गया है। भाजपा सरमायेदारों की पार्टी है लिहाजा उसे गरीब जनता से कुछ लेना देना नहीं हैं |



