CMJ University Scam: ED की बड़ी कार्रवाई: CMJ यूनिवर्सिटी के चांसलर की ₹20.28 करोड़ की संपत्ति कुर्क, फर्जी डिग्री घोटाले में चौंकाने वाले खुलासे
शिलांग स्थित CMJ यूनिवर्सिटी के चांसलर चंद्रमोहन झा और उनके परिवार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कस दिया है। ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत कार्रवाई करते हुए उनकी कुल ₹20.28 करोड़ की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। एजेंसी का कहना है कि चांसलर और उनके परिवार के सदस्य पैसे लेकर फर्जी डिग्रियां और प्रमाणपत्र जारी करने के संगीन अपराध में शामिल थे। इससे न केवल उच्च शिक्षा की साख पर बट्टा लगा, बल्कि इस घोटाले से करोड़ों की अवैध कमाई भी की गई।
ED की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि कुर्क की गई संपत्तियों में नई दिल्ली में स्थित 19.28 करोड़ रुपये मूल्य की चार अचल संपत्तियां और बैंक खातों में जमा एक करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल है। यह संपत्तियां 2013 से 2022 के बीच खरीदी गई थीं। इसके अलावा, ईडी ने यह भी खुलासा किया कि दिसंबर 2024 में बैंक बैलेंस को छुपाने की नीयत से इसे झा के परिवार के एक सदस्य को फर्जी तरीके से ट्रांसफर कर दिया गया था। यह पूरी कार्रवाई ईडी के शिलांग स्थित उप-क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 3 जुलाई 2025 को जारी अनंतिम कुर्की आदेश के आधार पर की गई।
ईडी की जांच IAS अधिकारी एमएस राव द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के बाद शुरू हुई थी। यह शिकायत राज्य के तत्कालीन राज्यपाल आरएस मूशाहरी के निर्देश पर दर्ज की गई थी, जो उस समय विश्वविद्यालय के विजिटर (अतिथि) थे। सीआईडी द्वारा की गई जांच में सामने आया कि विश्वविद्यालय बड़े पैमाने पर अवैध रूप से डिग्रियां बेच रहा था। ईडी के अनुसार, इस घोटाले से विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने करीब ₹83 करोड़ की अवैध कमाई की।
ईडी द्वारा पहले भी झा और उनके परिवार के खिलाफ कई चरणों में कार्रवाई की गई थी। 31 मार्च 2017, 30 नवंबर 2021 और 11 जुलाई 2024 को भी अनंतिम कुर्की आदेश पारित किए गए थे, जिनके तहत क्रमशः ₹27.66 करोड़, ₹13.54 करोड़ और ₹7.56 करोड़ मूल्य की संपत्तियां जब्त की गई थीं। इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2024 में तीन दिनों तक की गई तलाशी के दौरान उनके विभिन्न परिसरों से 1.15 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस भी जब्त किया गया था।
इस पूरे प्रकरण पर तब अंतिम मुहर लगी जब फरवरी 2025 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने CMJ यूनिवर्सिटी को भंग करने का आदेश दिया। अदालत ने अपने आदेश में विश्वविद्यालय पर ‘कुप्रबंधन, कुप्रशासन, अनुशासनहीनता और धोखाधड़ी के इरादे’ का दोषी ठहराया। इसके बाद मेघालय सरकार ने संयुक्त सचिव डी. लिंगदोह को विश्वविद्यालय का प्रशासक नियुक्त किया और CMJ यूनिवर्सिटी को वैधानिक तरीके से बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। जांच में यह भी उजागर हुआ कि वर्ष 2010 से 2013 के बीच विश्वविद्यालय ने करीब 20,570 फर्जी डिग्रियां जारी की थीं।



