नेहरू नगर में भागवत कथा शुरू 16 नवम्बर तक होगा आयोजन : राजीव साहनी

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राजीव साहनी
नेहरू नगर में भागवत कथा शुरू 16 नवम्बर तक होगा आयोजन : राजीव साहनी

नेहरू नगर में भागवत कथा शुरू 16 नवम्बर तक होगा आयोजन : राजीव साहनी

पंडित अशोक दीक्षित करेगें भागवत का गुणगान

नई दिल्ली दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : श्री सनातन धर्म मंदिर, ब्लॉक 2 नेहरू नगर में(निकट डी ए वी कालेज) 9 नवम्बर से 16 नवम्बर तक,, श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है | धर्माचार्य पंडित अशोक दीक्षित भागवत का गुणगान कर रहे हैं | रविवार 9 नवम्बर को भगवत से पूर्व विशाल कलश यात्रा निकाली गई ,कलश यात्रा में क्षेत्र की महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुई और धर्म लाभ अर्जित किया | आयोजन समिति के प्रसिद्ध समाजसेवी राजीव साहनी नें बताया भागवत प्रतिदिन सायं पांच बजे से शुरू होगी और प्रभु इच्छा तक चला करेगी |

श्री साहनी नें सभी सनातनी बंधुओं से निवेदन किया कि श्रीमद् भागवत कथा में सपरिवार सम्मिलित हो कर धर्म लाभ अर्जित करें | राजीव साहनी नें कहा श्रीमद भागवत कथा प्रेम शक्ति नेत्र, और सरल भाव वाले श्री शुकदेव जी के मुख से निकली है और सम्पूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष यह दिव्य ग्रन्थ जन्म और मृत्यु के भय को को समाप्त करता है और हमारे अंदर भक्ति प्रवाह को बढ़ाता है। और भगवान श्री कृष्ण को को प्रसन्न करने का सबसे मुख्य साधन श्रीमद भागवत महापुराण ही है। और भागवत कथा सुनने से हमारा मन तन शुद्ध हो जाता है।

श्री साहनी नें कहा इस दिव्य पुराण के पढ़ने व सुनने के तत्काल ही धर्म लाभ मिलता है । और इस महान ग्रन्थ को साप्ताहिक विधि से श्रवण करना ही हमें पुण्य और भक्ति का मार्ग प्रदान करता है। धर्माचार्य पंडित अशोक दीक्षित कहते है भागवत कथा तो देवता लोग को भी बहुत अधिक दुर्लभ है। तभी राजा परीक्षित के दरबार में शुकदेव ने कथा मृत को ही चुना जबकि उनके पास अमृत कलश का भी विकल्प था। और भगवान ब्रह्मा ने सत्यलोक में तराजू को बंधा और साधनों और व्रत, यज्ञ, मूर्तिपूजा तथा आदि को तौला तो सभी साधन तोल में भागवत कथा के सामने हल्के पड़ गए और भागवत महापुराण अपनी महत्व के कारण सबसे भारी रहा।

जब भगवान श्री कृष्णा जी अपना लीला समाप्त कर अपने श्री धाम जाने को हुए तो सभी भक्तों ने मायूसी स्वर में भगवान से प्रार्थना किया और कहा की हे प्रभु आप चले जायेंगे तो हम सब आप के बिना कैसे अपना जीवन व्यतीत करेंगे। तब भगवान ने कहा की हे भक्त गण मैं कही नहीं जा रहा हूँ इसी भागवत कथा महापुराण में समाया हुआ हूँ और ये दिव्य ग्रन्थ साक्षात् मेरा ही रूप है।

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