मुख्य न्यायाधीश पर हमला भारत के सविंधान पर हमला : अजय अरोड़ा

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अजय अरोड़ा
मुख्य न्यायाधीश पर हमला भारत के सविंधान पर हमला : अजय अरोड़ा

मुख्य न्यायाधीश पर हमला भारत के सविंधान पर हमला : अजय अरोड़ा

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : दिल्ली स्टेट ट्रेडर्स कांग्रेस के चेयरमेन अजय अरोड़ा नें कहा भारत के मुख्य न्यायाधीश पर सर्वोच्च न्यायालय में हुए हमले की निंदा करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है | यह भारत के सविंधान पर हमला है भारत के लोकतंत्र पर हमला है इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है | उल्लेखनीय है कि देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर वस्तु फेंकने की कोशिश करने वाले एक अधिवक्ता को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सोमवार को निलंबित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश अदालत कक्ष में वकीलों की याचिकाओं की सुनवाई कर रहे थे, तभी अधिवक्ता राकेश किशोर ने कथित रूप से एक वस्तु उठाई और मुख्य न्यायाधीश गवई की ओर उछाल दिया।

किशोर को यह चीखते हुए भी सुना गया कि भारत सनातन धर्म का अपमान नहीं सहन करेगा। सुरक्षाकर्मियों द्वारा किशोर को अदालत से बाहर ले जाया गया। मामूली बाधा के बाद अदालत का कामकाज जारी रहा। अगले अधिवक्ता को पुकारने के बाद न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘इससे अपना ध्यान भटकने न दें। हमें इससे फर्क नहीं पड़ता।’ अजय अरोड़ा कहते हैं आज देश में ऐसा माहौल बना दिया गया है कानून के जानकारों में भी कानून का कोई भय नहीं रह गया है | और लोग कानून के सर्वोच मन्दिर में भी कानून के साथ गंदा खेल खेल रहे है |

अजय अरोड़ा कहते हैं भले ही माननीय न्यायधीश हमले से देश का हरेक नागरिक आक्रोश में है। एक सभ्य समाज में ऐसे निंदनीय कृत्य के लिए कोई जगह नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने उन पर हमले के बाद भी जिस तरह संयम बनाए रखा यह न्याय मूल्यों के प्रति निष्ठा और संविधान को मजबूत करने के उनके जज्बे को परिलक्षित करता है।माननीय न्यायधीश नें भले ही उन्हें माफ़ कर दिया लेकिन यह हमला एक सवाल छोड़ गया सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश भी इस राज में सुरक्षित नहीं है और कोई भी उनपर हमला कर सकता है | इस हमले नें कानून व्यवस्था के साथ-साथ सुरक्षा सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर दिए है | अजय अरोड़ा कहते है इस सिस्टम की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि इस तरह की पुनरावर्ती नहीं हो | अजय अरोड़ा कहते हैं भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमला न केवल एक व्यक्ति पर, बल्कि पूरी न्यायपालिका और संविधान की भावना पर आघात है। और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।

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