आप का शंखनाद : दूर नहीं है दिल्ली ,जनता चाहती है वापसी गुजरात और पंजाब में दी दस्तक
कांग्रेस और भाजपा की दिया जोर का झटका
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता लगातार राग अलाप रहे हैं दिल्ली हारने के बाद अरविंद केजरीवाल गायब है और अब आम आदमी पार्टी खात्मे के कगार पर है | लेकिन हम हमेशा कहते थे जो लोग आम आदमी पार्टी को कमजोर आंक रहे हैं वे गलतफहमी का शिकार है और उपचुनाव परिणामों नें यह साबित भी कर दिया है कि आप में करंट बरकरार है और करिश्मा भी | तभी तो पंजाब और गुजरात की सीटों पर दमदार वापसी कर संदेश दे दिया है और आलोचनाओं का जवाब भी कि दिल्ली हारने के बाद अरविन्द केजरीवाल कहाँ थे |
जहां तक हम अरविन्द को जानते है वे अपनी हर गलती से सबक लेते हैं और उसे सुधार एक नये अवतार में दिखते हैं | यह कम बात नहीं है पांच विधानसभा चुनावों में तीन सीटों पर लड़ दो सीटें जीत पहले नम्बर पर रहे जबकि भाजपा कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को एक-एक सीट मिली | सबसे बड़ी बात है नरेंद्र मोदी के गढ़ गुजरात में घायल शेर नें ना केवल जीत दर्ज की बल्कि मोदी की भाषा में घर में घुसकर मारा | इसे कहते हैं केजरीवाल नीति . गुजरात के चुनाव को भाजपा और कांग्रेस नें प्रतिस्ठा का चुनाव बनाया हुआ था खुद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ,होम मिनिस्टर अमित शाह के साथ-साथ गुजरात का पूरा सरकारी अमला जुटा था लेकिन एक अकेला सब पर भारी नीति से बल्ले -बल्ले किसकी हुई पूरे देश नें देखा और परिणम नें बता दिया अरविन्द को कमजोर समझने की भूल मत करना |
कमोवेश पंजाब नें भी वही जवाब दिया कि अभी केजरीवाल का जादू बरकरार है और अब तो अरविन्द के लिए राज्यसभा पहुंचने का रास्ता भी सीधे रास्ते से साफ़ हो गया है | समझ गए ना आप संसद के माध्यम से ना केवल दिल्ली बल्कि की सियासत में एक बार फिर से केजरीवाल छाये रहेगें इस सम्भावना से इंकार नहीं किया सकता | आप भी सोच रहे होंगे आज हम अरविन्द का इतना गुणगान क्यों कर रहे हैं देखो भाई अरविन्द नें ख़ामोशी से इतनी मेहनत की जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है | समझ गए न आप वे इसके लिए डिजर्व करते है | मेहनत तो राहुल गांधी भी बहुत करते हैं लेकिन उनके नीचे की टीम यानी जिला स्तर से लेकर ब्लाक स्तर तक नीव खोखली है | रेस के घोड़ो को आगे लाने की बात करने वाले राहुल की टीम लंगड़े और बारात के घोड़ो पर दावं खेलती है ऐसे में राहुल अकेले क्या करेगें लेकिन अरविन्द नीति भी खुद बनाते है और उसे लागू भी खुद करते हैं क्या मजाल कोई उनकी नीति के इतर जा निर्णय ले सके | समझ गए ना आप केजरी नीति |
अपना सिक्का दिखाने के बाद अब केजरीवाल का दिल्ली कूच एक खास रणनीति के तहत होगा | अब सवाल उठा है केजरी राज्यसभा खुद पहुंचेगें या दिल्ली के किसी नेता को वहां पहुंचा खुद दिल्ली में सम्भावनाएं तलाशेगें इस राज के पत्ते तो अरविन्द के अलावा किसी के पास खोलने की ईजाजत नहीं है लेकिन जो भी होगा शानदार होगा और इन परिणामों की गूंज गुजरात पंजाब के साथ-साथ दिल्ली में भी सुनी जा रही है क्योंकि दिल्ली की सियासत जो प्रभावित होगी इससे | आज बस इतना ही …..


